दंतक परियोजना

खबरों में क्यों?


  • हाल ही में सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation-BRO) की सबसे पुरानी परियोजनाओं में से एक ‘दंतक परियोजना’ (Project DANTAK) ने भूटान में अपनी ‘डायमंड जुबली’ पूरी की है।
  • भूटान में महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना का निर्माण करते समय 1,200 से अधिक दंतक कर्मियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है।

मुख्य पहलू

दंतक परियोजना के विषय में:

  • इस परियोजना की स्थापना 24 अप्रैल, 1961 को हुई थी।
  • यह भूटान के तीसरे राजा और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम था।
  • दंतक परियोजना के तहत अग्रणी मोटर योग्य सड़कों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

उपलब्धियाँ:

सड़क संपर्क: इस परियोजना के अंतर्गत पिछले कुछ वर्षों में भूटान में 5000 मीटर लंबे पुलों के साथ लगभग 1600 किमी. ब्लैकटॉप मार्ग और 120 किलोमीटर लंबा ट्रैक तैयार किया गया है।

अन्य निष्पादित परियोजनाएँ: इस परियोजना द्वारा निष्पादित कुछ अन्य उल्लेखनीय परियोजनाओं में पारो हवाई अड्डा, योनफुला एयरफील्ड, थिम्फू-त्रासीगंग राजमार्ग, दूरसंचार और हाइड्रो पॉवर इंफ्रास्ट्रक्चर, शेरुबसे कॉलेज, कांग्लुंग तथा इंडिया हाउस एस्टेट का निर्माण शामिल है।

  • चिकित्सा और शिक्षा सुविधाएँ: दंतक परियोजना द्वारा सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पहली बार चिकित्सा और शिक्षा सुविधाएँ स्थापित की गईं।
  • भोजन बिक्री केंद्र: सड़क के किनारे भोजन की दुकानों ने भूटानी लोगों को भारतीय व्यंजनों से परिचित कराया।
  • भारत-भूटान संबंध: भारत-भूटान की शांति और मित्रता संधि, 1949:
  • यह संधि अन्य बातों के अलावा स्थायी शांति तथा मित्रता, मुक्त व्यापार तथा वाणिज्य और एक-दूसरे के नागरिकों को समान न्याय प्रदान करने पर ज़ोर देती है।
  • इस संधि को वर्ष 2007 में संशोधित किया गया, जिसमें भारत द्वारा भूटान को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति निर्धारित करने के लिये प्रेरित किया गया।
  • बहुपक्षीय भागीदारी: दोनों देश दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय मंच साझा करते हैं।
  • आर्थिक भागीदारी: भूटान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी जल विद्युत सहयोग , दोनों देशों के द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का मूल आधार है।
  • भारत के प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त 2019 में 720 मेगावाट की मांगदेछु जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन किया गया था, जिसका कार्यान्वयन 1200 MW पुनात्संगछु-I, 1020 मेगावाट पुनात्संगछु-II और खोलोंगचू HEP (600 MW) विभिन्न चरणों में हो रहा है।
  • भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
  • सीमा सड़क संगठन :इस संगठन की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा वर्ष 1960 में देश के उत्तर और उत्तर-पूर्वी सीमा क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क के त्वरित विकास के लिये की गई थी।
  • यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।
  • यह एयरफील्ड, बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स, डिफेंस वर्क्स और सुरंग निर्माण तथा विकास जैसे विभिन्न कार्यों में संलग्न है।

 हाल की कुछ उपलब्धियाँ:

  • अटल सुरंग: यह हिमाचल प्रदेश के रोहतांग पास में स्थित है। यह मनाली के पास सोलांग घाटी को लाहौल और स्पीति ज़िले से जोड़ती है।
  • नेचिपु सुरंग: यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले में बालीपारा-चारुदर-तवांग (बीसीटी) मार्ग पर स्थित है।
  • दापोरिजो पुल: यह अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी के ऊपर स्थित है।
  • कासोवाल पुल: यह पूल रावी नदी के ऊपर स्थित है और पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास कसोवाल एन्क्लेव को देश के शेष हिस्सों से जोड़ता है।
  • दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड: यह उत्तरी सीमा के पास दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) पोस्ट को दक्षिणी श्योक नदी घाटी में स्थित दारबुक और श्योक गाँवों के माध्यम से लेह से जोड़ता है।
  • बरसी पुल (मनाली-लेह राजमार्ग पर सबसे लंबा पुल): इस पुल को बग्गा (Bagga) नदी पर बनाया गया है, जो लाहौल में टांडी में चंद्रा नदी के साथ मिलकर जम्मू और कश्मीर में चिनाब के रूप में बहती है।

आभार/स्रोत: द हिंदू

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