छत्तीसगढ़ पर्यटन : जिला दंतेवाड़ा CGPSC 2021-22 | VYAPAM | POLICE SI | Latest General Awareness

छत्तीसगढ़ पर्यटन : दंतेवाड़ा जिले के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र [Tourism in Dantewada District]

इस क्षेत्र में सर्वाधिक धार्मिक विश्वास एवं श्रद्धा की प्रतीक काकतियों की आराध्य दंतेश्वरी देवी हैं. ‘प्रथम काकतीय राजा अन्नमदेव (1313-1358 ई.) ने ताराला ग्राम में दंतेश्वरी देवी का मंदिर शंखिनी’ और ‘डंकिनी’ नदियों के संगम पर 14वीं सदी के प्रथमाध में निर्मित कराया था. किंवदंती है कि दंतेश्वरी देवी राजा के साथ ही यहाँ आई थी. देवी के नाम पर ही ग्राम का नया नाम दन्तेवाड़ा हुआ. मंदिर के गर्भगृह में माँ दंतेश्वरी देवी की प्रतिमा है. इनके अलावा नागवंशी शासकों के शिलालेखों एवं विविध कालों की प्रतिमाओं को इस मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया है. दंतेश्वरी देवी मंदिर पर कार्तिक नवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन होता है, जो नौ दिनों तक चलता है. बस्तर का एकमात्र तीर्थ होने के कारण यहाँ भीड़ प्रायः वर्षभर रहती है.

जिला दन्तेवाड़ा के पर्यटन स्थल [Tourist places in District Dantewada]
दंतेवाड़ा जिले के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र

बैलाडिला (प्राकृतिक)

यह बस्तर की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं में जगदलपुर से 150 किलोमीटर  दूर दन्तेवाड़ा जिले में समुद्र तल  से 4160 फीट ऊँचे भू-भाग पर स्थित है. दैलाडिला में विश्वप्रसिद्ध लौह अयस्क की खदाने  हैं जहाँ से लौह अयस्क विदेशों को निर्यात (विशेषतः जापान को) किया जाता है. यहाँ हेमेटाइट किस्म का अयस्क है जिसमें लोहे की मात्रा 70 प्रतिशत तक होती है, बैलाडिला पहुँचने के लिए जगदलपुर से दंतेवाड़ा, गीदम होते हुये बचेली पहुँचना पड़ता है. चूँकि यह नगर पहाड़ी के ऊँचे हिस्से पर स्थित है, अतः इस नगर को ‘आकाश नगर’ नाम दिया गया है.

बैलाडीला छत्तीसगढ़ में स्थित पहाड़ियों की सुंदर श्रृंखला है जहाँ प्रचुर मात्रा में लौह खनिज पाया जाता है। पर्वत की सतह बैल के कूबड़ की तरह दिखती है अत: इसे “बैला डीला” नाम दिया गया है जिसका अर्थ है “बैल की कूबड़” बैलाडीला एक औद्योगिक क्षेत्र है जिसे दो शहरों बछेली और किरंदुल में बांटा गया है। सबसे अधिक लौह खनिज आकाश नगर नाम की पहाड़ी की चोटी पर मिलता है जो सबसे ऊंची चोटी भी है। हालाँकि इस चोटी की सैर करने के लिए राष्ट्रीय खनिज विकास निगम से अनुमति लेनी होती है। इस चोटी से सुंदर दृश्यों और हरे भरे जंगलों का आनंद उठाया जा सकता है।

नंदीराज

‘नंदीराज’ बस्तर की सर्वाधिक ऊँची चोटी का नाम है. बस्तर की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं में समुद्री सतह से सर्वाधिक ऊँचाई ‘नंदीराज’ की है, जो लगभग 4160 फीट ऊँचा है एवं अपने श्रेष्ठ लौह अयस्क के लिए बैलाडिला के नाम से विश्व विख्यात है. दूसरा स्थान बस्तर जिले में कांगेर घाटी में स्थित ‘तुलसी डोंगरी’ का है, जिसकी ऊँचाई लगभग 3914 फीट है.

इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान (प्रोजेक्ट टाइगर)

छत्तीसगढ़ के तीन राष्ट्रीय उद्यानों में से दो इन्द्रावती एवं कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान बस्तर में हैं. ‘इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान’ जगदलपुर से करीब 200 किमी की दूरी पर दन्तेवाड़ा जिले में इसकी उत्तर पश्चिम सीमा में स्थित है. जगदलपुर से बीजापुर होकर इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान पहुंचा जा सकता है. लगभग 1258 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य दक्षिण पश्चिम में बीजापुर, भैरमगढ़ विकास खण्डों में फैला है. सन् 1981 में गठित अभयारण्य में वाघों के लिए 1982-83 से केन्द्र शासन की मंजूरी से प्रोजक्ट टाइगर चल रहा है. इस उद्यान की मुख्य सीमा इन्द्रावती तट द्वारा निर्धारित होती है. उद्यान में बाघ, तेंदुआ, बारहसिंगा, जंगली भैंसा आदि जानवरों की प्रमुखता है. बाघों के साथ पीलूर करकावाड़ा, पेनगुंडा, बेंदरे आदि स्थलों में वन भैसे देखे जा सकते हैं.

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इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान (वन्य प्राणी अभयारण्य)-

दंतेवाड़ा जिले में दंतेवाड़ा से लगभग 90 किमी दक्षिण पश्चिम में आंध्र प्रदेश की सीमा से लगा भैरमगढ़ अभयारणय 139 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहाँ पाये जाने वाले प्रमुख वन्य प्राणी-वाघ, तेंदुआ, वनभैंसा एवं सांभर हैं. इन्द्रावती तट के माठवाड़ा, जैगुर और हिंगुम के आसपास का क्षेत्र भैरमगढ़ अभयारण्य के रूप में 1983 में अस्तित्व में आया.

इंद्रावती नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसका नाम निकटतम इंद्रावती नदी के कारण पडा है। यह दुर्लभ जंगली भैंस की आखिरी आबादी में से एक है। इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के बेहतरीन और सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव उद्यान हैं। यह छत्तीसगढ़ में उदांति-सीतानदी के साथ दो परियोजना बाघ स्थलों में से एक है, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित है। पार्क इंद्रावती नदी से अपना नाम प्राप्त करता है, जो पूर्व से पश्चिम तक बहता है और भारतीय राज्य महाराष्ट्र के साथ आरक्षित की उत्तरी सीमा बनाता है। लगभग 2799.08 किमी 2 के कुल क्षेत्रफल के साथ, 1981 में इंद्रावती ने राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति और 1983 में भारत के प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ रिजर्व को भारत के सबसे प्रसिद्ध बाघ भंडार में से एक बनने के लिए प्राप्त किया।

पामेड़ अभयारण्य (वन्य प्राणी अभयारण्य)

यह भी वन भैसों के संरक्षण हेतु 1983 में स्थापित बस्तर का दूसरा प्रमुख वन्य प्राणी अभयारण्य है. दंतेवाड़ा जिले में जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर की दूरी पर 262 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला जंगली भैंसों के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ जंगली भैसों के अलावा बाघ, तेंदुआ, चीतल एवं अन्य छोटे-बड़े वन्य प्राणी मिलते हैं. ‘तालपेरू नदी के किनारे, पुजारी कांकेर, कोत्तापल्ली के आसपास झुण्ड के रूप में वन मैंसों को देखा जा सकता है.

Source : https://bijapur.gov.in/tourist-place/

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